दो मार्ग

(मत्ती 7:13-24) 

अंग्रेज़ी में एक पुरानी कहावत है, "हर मार्ग रोम को जाता है"| संसार की उस पुरानी राजधानी के बारे में यह सच था या नहीं, हम नहीं कह सकते हैं| मगर कुछ ऐसे हैं जो इस कहावत को संसार के धर्म और अपने अन्तिम गंतव्य स्थान पर लागू करते हैं| "हर धर्म स्वर्ग ले जाता है"|  वे कहते हैं, पर क्या यह सही है? हमें इस की छानबीन करनी चाहिये क्योंकि यह मृत्यु और जीवन, सनातन प्रसन्नता या सनातन दुःख का प्रश्न है|

परमेश्वर द्वारा भेजा गया, प्रभु यीशु मसीह एक महान सिक्षक थे जो सत्य और परमेश्वर के पास जाने का मार्ग बताने आये| पर यीशु महान शिक्षक के अलावा और भी कुछ थे| यीशु स्वयं परमेश्वर का पुत्र हैं| यीशु स्वयं सत्य हैं| यीशु स्वयं परमेस्वर के पास जाने का मार्ग हैं| यीशु स्वयम जीवन हैं| और उन सब को जो उन पर विश्वास करते हैं जीवन को देने वाले हैं| परमेश्वर पवित्र है, और आवश्यक है कि वह पाप का दंड दे| प्रभु मसीह ने क्रूस की निर्दय मृत्यु को अपनाया ताकि वह पापी के दंड को भुगते| अब हर वे, जो इस सत्य को स्वीकार करते हैं और उसे पाप की शक्ति और दंड से छुटकारा दिलाने वाला मानते हैं, परमेश्वर के वचन के अनुसार जो झूटा नहीं है, अनन्त जीवन की भेंट पाते हैं|

अनन्त जीवन क्या है? हम सब जानते हैं कि इस पृथ्वी पर हमारा जीवन थोड़े दिनों केलिये है| कुछ सालों के बाद हर मनुष्य मरता है| मौत के बाद एक और जीवन है| वह मनुष्य, जिस ने प्रभु यीशु मसीह को अपना तारनहार करके स्वीकार किया है, परमेश्वर के उपस्थिति में सनातन आनन्द के साथ रहेगा| और उस की उपस्थिति में आनन्द की परिपूर्णता है| यह सनातन जीवन है| लेकिन वह मनुष्य जो परमेश्वर के इस अनन्त जीवन की भेंट को इन्कार करता है, परमेश्वर के उपस्थिति में से हमेशा केलिये हटा दिया जायेगा और शैता़न और उस के दुष्ट साथियों के साथ एक अंधकारपूर्ण स्थान में दुःख और पीडा़ के साथ डाल दिया जायेगा| मृत्यु का अर्थ है अलगाव| परमेश्वर और जो कुछ अच्छा है उन सब से अलगाव का अर्थ है सनातन मृत्यु| परमेश्वर हर मनुष्य के सामने इस जीवन में इन दो मार्गों का चुनाव रखता है| प्रभु यीशु मसीह ने इस चुनाव को और साफ़ बताये जब उन्होंने कहा- "चौड़ा है वह फाटक और चाकल वह मार्ग जो विनाश को पहुँचाता है, और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं"| हम दोनों मार्गों को परमेश्वर के वचन में देखते हैं| हम चौड़ा मार्ग को जो जीवन की ओर ले जाता है, देखते हैं, और उस पर उन सारी चीज़ों को देखते हैं जिससे शैता़न लोगों को चौड़े मार्ग पर ललचा ले जाता है| धन, सांसारिक सुख,शरीर के आनन्द जैसे वेश्यागमन और शराब पीना,सिनेमा,जुआ,चोरी,नीच तरह के नाच आदि बहकावों को भी हम देखते हैं| मनुष्य की बुद्धि और हिक़मत को देखते हैं, जिस से कि लोग विनाश पर पहुँच जाते हैं|

यह उन बहुत से बहकावों में से कुछ उदाहरण हैं जिसे शैता़न लोगों को चौडे़ मार्ग पर विनाश की ओर जाने केलिये काम में लाता है| प्रभु यीशु मसीह ने दूसरे मार्ग के बारे में भी बताया| उन्होंने कहा - "सकेत है वह फाटक और संकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है और थोडे हैं जो उसे पाते हैं"| उन्होंने सुननेवालों से यह भी कहा - "सकेत फाटक से प्रवेश करो"| आप देखोगे कि लोगों केलिये इस संकरे मार्ग पर चलना इतना कठिन क्यों है? प्रथम केवल एक द्वार है, जिसके द्वारा ही लोग संकरे मार्ग पर आ सकते हैं| फिर दो महत्वपूर्ण सीढ़ियाँ हैं| जिन्हें द्वार पर आने केलिये चढ़ना पड़ता है| पहली सीढी़ है, पछथावा| हमें अपने अनेक पापों केलिये दुःखी होना चाहिये और पछ्ताना चाहिये, कि उस पाप के रास्ते को फिर मुड़ कर भी न देखें| दूसरी सीढ़ी है, विश्वास| हमें यह विश्वास करना है कि जीवन के मार्ग पर प्रवेश केवल प्रभु यीशु मसीह के क्रूस के द्वारा है| उस क्रूस पर अपनी मृत्यु और तीसरे दिन के पुनरुत्थान के द्वारा उन्हों ने स्वयं परमेश्वर के पास जाने का एक नया और जीवित मार्ग बनाया है| यीशु ने कहा -"द्वार मैं हूँ, यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पायेगा"| यीशु ने यह भी कहा "मार्ग मैं ही हूँ, बिना मेरे द्वारा कोई पिता परमेश्वर के पास नहीं पहुँच सकता"| इस संकरे मार्ग पर जो कोई चलना चाहे,उसे क्रूस पर झुकना होगा| उसे मानना ही पडे़गा कि वह पापी है और यीशु मसीह को तारनहार मानना पडे़गा| यह संकरे मार्ग आसान नहीं है| यह शरीर के लालचों को इन्कार कर और परमेश्वर की हर हुक़्म को मानने के द्वारा स्वयं पर अनुशासन करने का कठिन मार्ग है| इस मार्ग पर चलने वालों का उद्देश्य होता है कि वे दुश्मनों से भी प्रेम करना सीखें और दूसरों को सही मार्ग पाने में सहायता करें| यह सनातन जीवन का मार्ग है जिस से हमें अनन्त आनन्द मिलता है| इस मार्ग पार हमारे तारनहार हमारे साथ मित्र और अगुवा की नाई चलाता है| उस पर विश्वास करने वालों के साथ जीवन के मार्ग पर चलने का उन्हों ने वादा किया है| मार्ग जब कठिन हो जाता है तो वह हमें गिरने से बचायेगा और अन्त में हमारे स्वर्गीय स्थान पर ले आयेगा|

दोनों मार्ग आप के सामने हैं| चुनाव कीजिये और आज ही सही चुनाव कीजिये| क्या आप बुद्धिमान होकर संकरा मार्ग न चुनेंगे? इसके अंत में महिमा,आनन्द और सनातन जीवन है| प्रभु यीशु मसीह की आवाज़ को सुनिये| सकेत फाटक से प्रवेश कीजिये| वह फिर कहते हैं कि जो कोई उनके पास आयेगा उसे वे कभी नहीं निकालेंगे| यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राणों की हानि उठाये तो उसे क्या लाभ होगा?


परिचयात्मक लेख

आन्सरिंग इस्लाम हिन्दी